शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य पर कोविड-19 का असर
Poonam Batra, Amir Bazaz, Anisha Shanmugam, Nihal Ranjit, Harpreet Kaur, Ruchira Das | 2022
Abstract
भारत सरकार ने कोविड-19 वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मार्च 2020 के तीसरे हफ्ते में पूरे देश में अचानक और सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया था। इस फैसले को जिस तरह लागू किया गया, उससे भारतीय शिक्षा व्यवस्था और शहरी सामाजिक सुरक्षा तंत्र की कमियां व कमज़ोरी खुलकर सामने आ गयी हैं। लॉकडाउन के फलस्वरूप देश भर के स्कूल व उच्च शिक्षा संस्थान बंद कर दिये गये और शहरों व कस्बों की तमाम आर्थिक गतिविधियां पलक झपकते ठप पड़ गयीं। इससे विद्यार्थियों और शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले करोड़ों मज़दूरों पर बहुत गहरा असर पड़ा है।
प्रस्तुत शोध में हमने भारतीय समाज के सबसे हाशियाई तबकों की शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य पर कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के प्रभावों को समझने की कोशिश की है। इस शोध के लिए देश के तीन प्रमुख शहरों को चुना गया। दिल्ली में हमने स्कूलों के बंद होने से पैदा हुई स्थितियों का जायज़ा लिया है। बेंगलुरू में उच्च शिक्षा संस्थानों के बंद होने के परिणामों पर शोध किया गया है जबकि तिरुचिरापल्ली (त्रिची) में हमने इस बात का अध्ययन किया कि आमदनी खत्म हो जाने से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के मज़दूरों की जिंदगी पर किस तरह के असर पड़े हैं। इस शोध से हमें ये समझने का भी मौका मिला कि जिन तबकों का अध्ययन किया गया उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़े हैं। हमने इस बात का भी जायज़ा लिया कि इस गहरे आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी स्रोतों से किस तरह के राहत उपाय किये गये। स्थिति को विस्तार से जानने के लिए अलग-अलग लोगों के ऑनलाइन और ऑफलाइन इंटरव्यू लिये गये। राहत सुविधाएं मुहैया करा रहे विभिन्न संगठनों के साथ पैनल चर्चाएं आयोजित की गयीं। विभिन्न रिपोर्ट्स, केस स्टडीज और सरकारी दस्तावेजों से सेकेंडरी डेटा भी इकट्ठा किया गया।
DOI: https://doi.org/10.24943/SASCA02.2022